Thursday, January 22, 2009

मातृभूमि

मैं हिन्दु, हिन्दी भाषी हूं, सदा सभी से मितभाषी हूं।
द्वेष ईर्ष्या नहीं किसी से, सरल विनीत मैं सहवासी हूं॥
संस्कृत और संस्कृति को मैं, पूज्य मान कर चरण पकारूं।
है प्रयास मेरा हिन्दु संस्कारों को जीवन में ढ़ालूं॥
मातृभूमि के ऋण से यूं तो, उऋण नहीं हो सकूं कदाचित।
भाषा संस्कृति की सेवा से, कुछ तो में भी पुण्य कमा लूं॥

Monday, January 5, 2009

कालगति

दिनकर का सम्पूर्ण विश्व को, आलोकित करना फ़िर छिपना;
शशि का मणिसमान तारों संग, निशि में शीतल मन्द महकना।
वृक्षों पर हर वर्ष नई कोंपलें, पत्र पुष्प फल लगना;
झड़ना पतझर में फ़िर, ऋतु परिवर्तन से पल्लवित संवरना।
स्वेदज अण्डज उद्भिज, और जरायुज जीव जन्तु का बनना;
आयु के अनुरूप नित्यप्रति, बढ़ना और अन्तत: मरना।
यही कालगति नैसर्गिक, सम्पूर्ण चराचर में घटती है;
इससे ही सम्पूर्ण विश्व की, सारी गतिविधियां चलती हैं।
काल कर्म के वश में है तो, आओ अपना कर्म संवारें;
मनुज जन्म है कर्म का अवसर, है प्रारब्ध इसीसे बनना।

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डॉ. जय प्रकाश गुप्त शिक्षा- चिकित्सा- स्नातक (महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक) पर्यावरण (Environmental Education)- परास्नातक (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र) पत्रकारिता (Journalism & Mass Comm)- परास्नातक (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र) PGDT (KUK) चिकित्सकीय वृत्त- Intern- श्री मस्तनाथ सामान्य चिकित्सालय, अस्थलबोहर (रोहतक), सामान्य अस्पताल, अम्बाला छावनी | चिकित्साधिकारी (पूर्व)- जनलाभ धर्मार्थ चिकित्सालय, अम्बाला छावनी, सेवा भारती चिकित्सालय अम्बाला छावनी | चिकित्सक- भगवान महावीर धर्मार्थ चिकित्सालय, अम्बाला छावनी, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अम्बाला छावनी | लेखकीय वृत्त- संपादन- महाविद्यालय पत्रिका (आयुर्वेद प्रदीप)- छात्र संपादक (English Section), INTEGRATED MEDICINE (Monthly Medical Magazine) प्रकाशन- कविता- लेख- कहानी- व्यंग्य अनेकों पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित; चिकित्सा, शिक्षा, धर्म, संस्कृति, मनोविज्ञान विषयक १६ शोधपत्र प्रकाशित | समीक्षा- अनेकों कविता संग्रह, लेखमाला ग्रंथों की समीक्षा | अमृतकलश चिकित्सालय, हाऊसिंग बोर्ड कालोनी, अम्बाला छावनी | ईमेल- chikitsak@rediffmail.com, c