Tuesday, February 28, 2012

मैं प्रिया हूँ आपकी, तुम हो मेरे प्रियतम मनोहर
मैं हूँ कविता आपके कविमन को मैंने किया मधुकर
मैं तुम्हारी देवपूजा अर्चना हूँ
आरती के थाल के दीपक की बाती
और घृत मैं ही हूँ प्रियवर !

तुम चिकित्सक हो तो मैं
रोगिणी भी परिचायिका भी
ज्ञात और अज्ञात रोगों का चिकित्सा सार हूँ मैं !!

मैं तुम्हारे हृदय की धक् धक्
ध्वनि बन प्राण जैसी
श्वास औए नि:श्वास की वायु सी
निर्-आकार हूँ मैं !!!

मैं तुम्हारी धमनियों का रक्त बन
संचार करती चेतना का
आपके पौरुष का, यौवन का
सुहृद आधार हूँ मैं !!!!

प्रेरणा हूँ मैं तुम्हारे
प्रेम के सन्मार्ग की, और तुम्हारे
मन में उठती कामना का ज्वार बनती
फिर कला बन चन्द्रमा की शांत करके ज्वार
करती तृप्त सारी एषणा को
और विकसित पूर्ण नैसर्गिक गुणों से
पूर्णिमा का भा-युत प्रकाश हूँ मैं !!!!!

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डॉ. जय प्रकाश गुप्त शिक्षा- चिकित्सा- स्नातक (महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक) पर्यावरण (Environmental Education)- परास्नातक (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र) पत्रकारिता (Journalism & Mass Comm)- परास्नातक (कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र) PGDT (KUK) चिकित्सकीय वृत्त- Intern- श्री मस्तनाथ सामान्य चिकित्सालय, अस्थलबोहर (रोहतक), सामान्य अस्पताल, अम्बाला छावनी | चिकित्साधिकारी (पूर्व)- जनलाभ धर्मार्थ चिकित्सालय, अम्बाला छावनी, सेवा भारती चिकित्सालय अम्बाला छावनी | चिकित्सक- भगवान महावीर धर्मार्थ चिकित्सालय, अम्बाला छावनी, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अम्बाला छावनी | लेखकीय वृत्त- संपादन- महाविद्यालय पत्रिका (आयुर्वेद प्रदीप)- छात्र संपादक (English Section), INTEGRATED MEDICINE (Monthly Medical Magazine) प्रकाशन- कविता- लेख- कहानी- व्यंग्य अनेकों पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित; चिकित्सा, शिक्षा, धर्म, संस्कृति, मनोविज्ञान विषयक १६ शोधपत्र प्रकाशित | समीक्षा- अनेकों कविता संग्रह, लेखमाला ग्रंथों की समीक्षा | अमृतकलश चिकित्सालय, हाऊसिंग बोर्ड कालोनी, अम्बाला छावनी | ईमेल- chikitsak@rediffmail.com, c